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Tuesday, April 16, 2013

उफ्फ् …हुआ कुछ यूँ की


बस एक नज़र की बात थी 
वो शाम ही शायद कुछ ख़ास थी 
नज़रों ने बातें कीजुल्फों ने शरारत की
उफ्फ..हुआ कुछ यूँ की …!!

बूंदों कि रिमझिम फुहार हुई 
और शाम की हर एक बात कुछ खास हुई ..
ये क्यूँ हुआ जाने ना हम  …
उफ्फहुआ कुछ यूँ  
क्या बताएं हम …!!

नज़रें हमारी बतियाती रही 
चेहरे की रंगत बढ़ती गयी
वो बातें भी कुछ ख़ास हुई
ये क्यूँ हुआ जाने ना हम  …
उफ्फहुआ कुछ यूँ   
क्या बताएं हम …!!

उस मुलाकात की बात ही कुछ ख़ास थी...
नज़रों ने बातें हज़ार की
हर बात में बात निकलती रही
हम मुस्कुराते रहे ...
और सांसें उनकी थमती रही ...
ये क्यूँ हुआ जाने ना हम  …
उफ्फहुआ कुछ यूँ   
क्या बताएं हम …!!

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